How to Start Investing in Stock Market?
Introduction
अच्छा एक बात बताइए आप भी उन लोगों में से हैं जो स्टॉक मार्केट से फायदे तो लेना चाहते हैं लेकिन क्लियर समझ नहीं पाते हैं कि स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट की शुरुआत कैसे की जाती है और किन बातों को ध्यान में रखते हुए इस मार्केट में कदम रखा जाना चाहिए तो आपकी इस उलझन को आज हम सुलझा ही देते हैं क्विक सपोर्ट पर इस वीडियो के जरिए जो आपको बताएगा कि स्टॉक मार्केट में आपको प्रॉफिट्स कैसे मिल सकते हैं और कौन से 10 इंपॉर्टेंट और इफेक्टिव पॉइंट्स को कंसीडर करके स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं |
What is Stock Market?
तो चलिए शुरू करते हैं और सबसे पहले स्टॉक मार्केट के बारे में थोड़ा जान लेते हैं ताकि इसे समझना ज्यादा आसान हो सके। स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां पर कंपनीज अपने शेयर्स बेचती हैं और लोग उन्हें खरीदते हैं। अपने बिजनेस को एक्सपेंड करने के लिए कंपनीज को पैसा चाहिए होता है जिसके लिए वह अपनी कंपनी के स्टॉक्स के रूप में कंपनी की कुछ हिस्सेदारी पब्लिक के बीच बांट देती हैं। जिसके पास जितने ज्यादा स्टॉक्स, उसके पास उतनी ज्यादा हिस्सेदारी। ऐसा करके कंपनी को बिजनेस के लिए पैसा मिल जाता है और पब्लिक को कंपनी में हिस्सेदारी। जैसे-जैसे कंपनी ग्रो करती है, उसके स्टॉक्स का प्राइस बढ़ता जाता है जिससे स्टॉक होल्डर इन्वेस्टर्स को भी प्रॉफिट होता है। वहीं कंपनी के लॉस के साथ स्टॉक होल्डर्स को भी लॉस हो सकता है। इस तरह स्टॉक से एक कंपनी और एक स्टॉक होल्डर पर्सन को कनेक्ट करते हैं। कंपनी के शेयर्स को लिस्ट करने और इन्वेस्टर्स को ट्रेडिंग प्लेटफार्म प्रोवाइड कराने का काम स्टॉक एक्सचेंज करते हैं, जहां पर स्टॉक्स खरीदे और बेचे जाते हैं, यानी ट्रेडिंग होती है। इंडिया में मेन स्टॉक एक्सचेंज बीएसई यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और एनएसई यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है।
स्टॉक्स वैसे बहुत तरह के होते हैं, लेकिन मेनली दो तरह के स्टॉक्स होते हैं: इक्विटी स्टॉक्स और प्रेफरेंस स्टॉक्स। इक्विटी स्टॉक्स सबसे कॉमन स्टॉक्स होते हैं जो कंपनी में ओनरशिप को रिप्रेजेंट करते हैं। वहीं प्रेफरेंस स्टॉक्स स्टॉक की बजाय एक बॉन्ड से ज्यादा मिलते जुलते हैं। आपको बता दें कि बॉन्ड किसी कंपनी या गवर्नमेंट को पैसे उधार देने जैसा है जिसमें रेगुलर इंटरेस्ट आपको मिलता रहता है और बॉन्ड के मच्योर होने पर ओरिजिनल मनी भी आपको वापस मिल जाती है। इसमें फिक्स्ड डिविडेंड मिलता है जबकि स्टॉक्स में डिविडेंड मिलने की गारंटी नहीं होती। स्टॉक्स में हाई रिटर्न्स और हाई रिस्क रहता है, तो बंड्स में लोअर रिटर्न्स और लोअर रिस्क रहता है। डिविडेंड्स अपने स्टॉक होल्डर्स के लिए कंपनी के द्वारा दिया जाने वाला रिवर्ड होता है, जो कैश की फॉर्म में भी हो सकता है और एक्स्ट्रा शेयर्स की फॉर्म में भी हो सकता है।
अगर आप स्टॉक्स और शेयर्स में कंफ्यूज हैं तो ये जान लीजिए कि अगर स्टॉक एक पूरा पिज़्ज़ा है तो शेयर उस पिज़्ज़ा का एक स्लाइस है। यानी अगर आपके पास एक कंपनी के 100 शेयर हैं तो आपने उस कंपनी के स्टॉक का एक हिस्सा खरीदा है। आई होप अब आप समझ गए होंगे।
Risk Factors in Stock Market
लेकिन बहुत बार बहुत से इन्वेस्टर्स ये नहीं समझ पाते हैं कि स्टॉक मार्केट में रिस्क फैक्टर्स बहुत हाई होते हैं। ऐसे इन्वेस्टर्स स्टॉक मार्केट की चका चौद में गुम हो जाते हैं, मार्केट रिस्क को इग्नोर कर देते हैं, अपनी सारी सेविंग्स इसमें इन्वेस्ट कर देते हैं और बिना स्ट्रेटेजी और रिस्क मैनेजमेंट के किया गया ऐसा इन्वेस्टमेंट उनके लिए लॉस का रीजन बन जाता है। तो अगर आप ऐसा नहीं चाहते हैं तो सोच समझकर सही एक्शन लेने के लिए तैयार रहिए क्योंकि स्टॉक मार्केट पेशेंस, नॉलेज, रिसर्च और स्ट्रेटेजी का मार्केट है। और स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए आपको जिन पॉइंट्स को कंसीडर करना होगा वह यह है।
Points to Consider Before Investing
1. Research is Essential
सबसे पहले रिसर्च जरूरी है। स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने से पहले आपको स्टॉक मार्केट को अच्छे तरीके से समझना होगा और जिन कंपनीज और सेक्टर्स में आप इन्वेस्ट करने का सोच रहे हैं, उनके बारे में प्रॉपर रिसर्च करनी होगी। इसके लिए आप कंपनीज और सेक्टर्स की फाइनेंशियल रिपोर्ट्स और इंडस्ट्री ट्रेंड्स को ट्रैक कर सकते हैं और इस तरह रिसर्च करने से आपके इन्वेस्टमेंट के डिसीजंस इंप्रूव हो सकते हैं, जो आपको बेटर रिजल्ट दिला सकते हैं। इसलिए जल्दबाजी नहीं, रिसर्च करके ही इन्वेस्ट करें।
2. Investment Plan Preparation
स्टॉक मार्केट को समझने के साथ-साथ अपने इन्वेस्टमेंट प्लान को तैयार करना भी काफी जरूरी है, जिसके लिए कुछ ऐसे सवालों के क्लियर आंसर्स आपके खुद के पास होने जरूरी हैं। जैसे कि आपको शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करना है या लॉन्ग टर्म? क्या आपको रिटायरमेंट के लिए इन्वेस्टमेंट करना है या बच्चों की पढ़ाई के लिए? आप कितना रिटर्न चाहते हैं? आपकी रिस्क टॉलरेंस कितनी है? यानी आप हाई रिस्क और हाई रिटर्न्स को प्रेफर करेंगे या लो रिस्क और लो रिटर्न्स? आप कितना पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं और क्या आप एसआईपी की फॉर्म में इन्वेस्ट करेंगे या लसम इन्वेस्टमेंट को प्रेफर करेंगे?
एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में हर महीने आप एक फिक्स स्मॉल अमाउंट इन्वेस्ट कर सकते हैं जबकि लसम में आप एक साथ एक लार्ज अमाउंट को इन्वेस्ट कर सकते हैं। ऐसे सभी जरूरी सवालों के क्लियर आंसर फाइंड आउट कीजिए और उसके अकॉर्डिंग सूटेबल कंपनी, सेक्टर्स और स्टॉक्स को चूज करें।
3. Open Demat and Trading Account
स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी बनाने के बाद बारी आएगी इन्वेस्टमेंट के लिए एक्शन लेने की, जिसके लिए आपको डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करवाने होंगे। डीमेट अकाउंट ऐसा इलेक्ट्रॉनिक अकाउंट होता है, जहां पर एक इन्वेस्टर के स्टॉक्स स्टोर रहते हैं और यह एक इलेक्ट्रॉनिक लॉकर की तरह काम करता है। वहीं ट्रेडिंग अकाउंट ऐसा अकाउंट है, जिससे स्टॉक्स की ट्रेडिंग यानी खरीदी और बिक की जाती है। तो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए दोनों अकाउंट होना जरूरी है, क्योंकि एक इन्वेस्टर के तौर पर आप जब स्टॉक्स को खरीदेंगे तो वह ट्रेडिंग अकाउंट से खरीदे जाएंगे और फिर आपकी डीमेट अकाउंट में जमा हो जाएंगे। इसी तरह जब आप स्टॉक्स को बेचेंगे तो वह आपके डीमेट अकाउंट से निकलकर ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे, जहां से आप उन्हें बेच सकेंगे। इस प्रोसेस में आपको केवाईसी प्रोसेस भी कंप्लीट करना होगा, जो आपके इन्वेस्टमेंट की सिक्योरिटी के लिए जरूरी है।
4. Apply Stock Diversification
अकाउंट्स ओपन होने के बाद आप अपना इन्वेस्टमेंट शुरू कर सकते हैं और उसे इफेक्टिव बनाने के लिए आपको डायवर्सिफिकेशन की इंपॉर्टेंस को समझना होगा। इसका मतलब होता है अपने इन्वेस्टमेंट अमाउंट को एक ही कंपनी और सेक्टर में लगाने की बजाय अलग-अलग कंपनीज और सेक्टर्स में लगाना। ऐसा करने से रिस्क कम हो सकता है और प्रॉफिट बैलेंस हो सकता है। इसलिए आप आईटी, फार्मा, ऑटो, बैंकिंग जैसे डिफरेंट सेक्टर्स में इन्वेस्ट कीजिए ताकि एक सेक्टर में आई गिरावट आपके इन्वेस्टमेंट को ज्यादा अफेक्ट ना कर सके। आप अपने इन्वेस्टमेंट को लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स में इन्वेस्ट करिए, ना कि एक ही तरह के स्टॉक्स में।
5. Focus on Long-Term Investment
स्टॉक मार्केट में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट अच्छा डिसीजन माना जाता है क्योंकि इससे मिलने वाले रिटर्न्स काफी हाई हो सकते हैं। मार्केट के उतार चढ़ाव से आपका इन्वेस्टमेंट बहुत ही कम अफेक्ट हो सकता है और फाइनेंशियल गोल्स को भी इजली अचीव किया जा सकता है। इसलिए ढेर सारे बेनिफिट्स लेने के लिए लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को प्रेफर करें।
6. Follow the Right Advice
दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने वाली रैंडम फाइनेंशियल टिप्स को ब्लाइंड फॉलो करने से आपको बचना होगा क्योंकि आप इस फील्ड में नए हैं। इसलिए आपको ऑथेंटिक सोर्सेस से ही सही जानकारी लेने पर ही फोकस करना चाहिए। इसके लिए आप फाइनेंशियल एडवाइजर से गाइडेंस ले सकते हैं, किताबें, ब्रोकरेज फॉर्म्स, ऑनलाइन फोरम्स, फाइनेंशियल ब्लॉग्स, वेबसाइट्स और वैल्युएबल और ऑथेंटिक फाइनेंशियल एडवाइस पा सकते हैं।
7. Start with Small Investments
स्टॉक मार्केट अभी आपके लिए नया है, इसलिए स्मॉल इन्वेस्टमेंट से स्टार्ट करना आपके लिए फेवरेबल और सेफ रहेगा क्योंकि इससे ज्यादा लॉस का रिस्क नहीं रहेगा। टाइम के साथ आप एक्सपीरियंस गेन करते जाएंगे, जिससे आपका कॉन्फिडेंस बिल्ड होगा और इन्वेस्टमेंट डिसीजंस भी काफी बेहतर होते जाएंगे और कुछ वक्त के बाद आप ऐसे लार्ज इन्वेस्टमेंट करने के लिए तैयार हो पाएंगे, जिनमें रिस्क कम और प्रॉफिट ज्यादा हो। इसलिए आप स्मॉल इन्वेस्टमेंट से ही शुरुआत करें, जिसके लिए आप एसआईपी, स्मॉल क्वांटिटी में स्टॉक्स की खरीदी और ईटीएफ यानी एक्सचेंज ट्रेड्स फंड्स जैसे ऑप्शंस को चूज कर सकते हैं।
8. Monitor Your Investments Regularly
स्टॉक्स में इन्वेस्ट करके आप फ्री नहीं हो सकते। आपको इसे मॉनिटर भी करते रहना होगा ताकि आप मार्केट कंडीशंस के अकॉर्डिंग अपनी स्ट्रेटेजी एडजस्ट कर सके, रिस्क को मैनेज कर सके और अपने इन्वेस्टमेंट को प्रोटेक्ट कर सके। इसके लिए आपको महीने में कम से कम एक बार अपनी इन्वेस्टमेंट को मॉनिटर करना ही चाहिए। साथ ही मार्केट ट्रेंड्स पर भी नजर रखनी चाहिए और न्यूज़ अपडेट्स, फीस और टैक्स रिलेटेड इंफॉर्मेशन का भी ध्यान रखना चाहिए। फाइनेंशियल न्यूज़ वेबसाइट्स और ब्रोकरेज प्लेटफार्म से आपको यह जानकारियां आसानी से मिल सकती है।
9. Adopt the Power of Patience
इन्वेस्टिंग में सबसे इफेक्टिव और इंपॉर्टेंट टूल पेशेंस ही होता है। और जो इस बात को समझ लेता है, उसे लॉस और रिस्क को मैनेज करना आ जाता है। और जो पेशेंट्स को इग्नोर करके इंपल्सिव डिसीजंस लेते हैं, वह भारी नुकसान में डूब भी सकते हैं। स्टॉक मार्केट बहुत ही वोलेटाइल होता है यानी परिवर्तनशील होता है, जिसमें बहुत तेजी से उतार चढ़ाव होते रहते हैं, खासकर शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट में। इसलिए आप मार्केट में शॉर्ट टर्म मूवमेंट से अफेक्ट मत होइए, इस वॉलेट के अकॉर्डिंग स्टॉक्स की ट्रेडिंग करने से बचिए और पेशेंस के साथ लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को ग्रो होने दीजिए।
10. Keep Learning
स्टॉक मार्केट में कुछ सक्सेसफुल इन्वेस्टमेंट के बाद यह समझने की भूल बिल्कुल मत कीजिए कि आप इस मार्केट के एक्सपर्ट बन गए हैं और अब इस मार्केट के मूवमेंट्स को आप अच्छी तरीके से समझते हैं और इसलिए आपको कुछ नया सीखने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आपकी सबसे बड़ी भूल हो सकती है। स्टॉक मार्केट में अगर सफल होना है तो फेलियर के लिए तैयार रहना भी जरूरी है और पेशेंस के साथ लर्निंग भी जरूरी है। मार्केट ट्रेंड्स, इकोनॉमिक इंडिकेटर और तेजी से इवॉल्व होती टेक्नोलॉजी से सीखिए ताकि आप अपडेट, कॉन्फिडेंट और इफॉर्म बने रह सके और सही इन्वेस्टमेंट के डिसीजन ले सके।