Introduction

स्टॉक मार्केट के बारे में आप यह तो जानते ही हैं कि यहां पर स्टॉक्स की ट्रेडिंग होती है लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि यह सब इतना सिस्टमैटिक तरीके से कैसे चलता रहता है? क्या कोई इसे रेगुलेट करता है? क्या यह मार्केट किसी के रूल्स एंड रेगुलेशंस को फॉलो करता है? तो हां बिल्कुल, स्टॉक मार्केट सेबी के रूल्स एंड रेगुलेशंस पर काम करता है क्योंकि सेबी इंडियन सिक्योरिटीज मार्केट की रेगुलेटिंग अथॉरिटी है। अब यह सिक्योरिटीज मार्केट क्या है, सेबी का मतलब क्या है, यह कैसे काम करती है और सेबी के बारे में ऐसा ही और भी बहुत कुछ हम आपको आज के इस ब्लॉग में बताने वाले हैं।

SEBI का पूरा नाम और स्थापना

तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं सेबी के बारे में डिटेल में। तो सेबी की फुल फॉर्म है सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया और हिंदी में इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कहा जाता है। यह इंडियन सिक्योरिटीज मार्केट के लिए रेगुलेटिंग अथॉरिटी है, जिसे सेबी एक्ट 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 को स्थापित किया गया ताकि इंडियन इन्वेस्टमेंट मार्केट में ट्रांसपेरेंसी को प्रमोट किया जा सके। जैसे इंडिया में बैंक्स को मॉनिटर करने का काम आरबीआई करता है यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, वैसे ही सिक्योरिटीज मार्केट को मॉनिटर और कंट्रोल करना सेबी की जिम्मेदारी है।

सिक्योरिटीज मार्केट क्या है?

अब हम सेबी के बारे में आगे और जानें, उससे पहले इस डाउट को क्लियर कर लेते हैं कि सिक्योरिटीज मार्केट क्या होता है। इसे इस तरीके से समझना होगा कि शेयर मार्केट, स्टॉक मार्केट और सिक्योरिटीज मार्केट किस तरह एक दूसरे से रिलेटेड हैं और किस तरह इनमें थोड़ा डिफरेंस है। तो शेयर मार्केट में सिर्फ शेयर्स की ट्रेडिंग होती है, जबकि स्टॉक मार्केट में शेयर के साथ-साथ बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड्स और डेरिवेटिव्स की ट्रेडिंग भी हुआ करती है। यानी स्टॉक मार्केट का दायरा बड़ा है। इसी तरह, स्टॉक मार्केट की तुलना में सिक्योरिटीज मार्केट का दायरा और भी बड़ा है क्योंकि सिक्योरिटीज मार्केट के दो पार्ट्स होते हैं – प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट। प्राइमरी मार्केट आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफर से जुड़ा होता है और सेकेंडरी मार्केट स्टॉक मार्केट कहलाता है। यानी स्टॉक मार्केट सिक्योरिटीज मार्केट का एक पार्ट है। इस तरह सिक्योरिटीज मार्केट के अंडर आते हैं शेयर एंड स्टॉक मार्केट और इन सभी को कंट्रोल करने वाली अथॉरिटी होती है सेबी। इसका हेड क्वार्टर मुंबई में है और न्यू दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में इसके रीजनल ऑफिसेस भी हैं।

SEBI की स्थापना की जरूरत क्यों पड़ी?

सेबी की फाउंडेशन से पहले सिक्योरिटीज मार्केट को कई गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशंस रेगुलेट करते थे और उसका रिजल्ट यह हुआ कि इस मार्केट में इनकंसिस्टेंसी और इनएफिशिएंसी नजर आने लगी। उस दौरान सिक्योरिटीज मार्केट में बहुत स्कैम्स हुआ करते थे। तब सेबी को एस्टेब्लिश किया गया, लेकिन लिमिटेड पावर्स और रिस्पांसिबिलिटीज के साथ। उस दौरान हुए हर्षद मेहता स्कैम ने पूरे मार्केट को हिला डाला। तब सेबी की पावर और रिस्पांसिबिलिटीज में बदलाव की जरूरत महसूस की गई। सेबी को ज्यादा पावर्स दी गई और तब से सेबी एक रेगुलेटरी बॉडी के रूप में अपनी भूमिका बखूबी निभाती आ रही है। तभी तो आज सेबी वर्ल्ड की टॉप रेगुलेटरी अथॉरिटीज में से एक गिनी जाने लगी है।

SEBI का रोल

SEBI इंडिया के सिक्योरिटीज मार्केट के लिए सिक्योरिटीज के इशूअर, इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स की प्रोटेक्टर होने के साथ-साथ एक फाइनेंशियल मेडिएटर का रोल प्ले करती है। इसके लिए SEBI के कुछ मेजर फंक्शंस जान लेना बेहतर होगा जो कि कुछ इस तरह हैं:

  1. सिक्योरिटीज मार्केट में इंडियन इन्वेस्टर्स के इंटरेस्ट को प्रोटेक्ट करना।
  2. सिक्योरिटीज मार्केट की डेवलपमेंट को प्रमोट करना।
  3. सिक्योरिटीज मार्केट के बिजनेस ऑपरेशंस को रेगुलेट करना।
  4. बैंकर्स, स्टॉक ब्रोकर्स, इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और पोर्टफोलियो मैनेजर्स के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में सर्विस देना।
  5. इन्वेस्टर्स को सिक्योरिटीज मार्केट के बारे में एजुकेट करना।
  6. इस मार्केट में किसी भी तरह के फ्रॉड और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस को रोकना।
  7. स्टॉक ब्रोकर्स का रजिस्ट्रेशन करना।
  8. ब्रोकर और सब ब्रोकर जैसे फाइनेंशियल इंटरमीडिएट्स की एक्टिविटीज की निगरानी करना।
  9. और मार्केट को एफिशिएंट बनाए रखना।

SEBI को मिली पावर्स

सेबी को कुछ पावर्स भी मिली हुई हैं, जैसे कि सिक्योरिटीज मार्केट में किसी के द्वारा फ्रॉड और अनएथिकल प्रैक्टिसेस करने पर सेबी जजमेंट दे सकती है। इस मार्केट में ऐसी एक्टिविटीज करने वालों के खिलाफ एविडेंस कलेक्ट कर सकती है, जिसके लिए अकाउंट बुक्स और डॉक्यूमेंट चेक कर सकती है। और अगर यह साबित हो जाए कि किसी पर्सन या कंपनी ने सेबी के रूल्स एंड रेगुलेशंस को ब्रेक किया है, तो वह उस पर्सन या कंपनी पर रूल्स लागू कर सकती है, जजमेंट दे सकती है और उसके खिलाफ लीगल एक्शंस भी ले सकती है। और सेबी के डिसीजंस को रेगुलेट करते हैं सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और एसटी सेट यानी सिक्योरिटीज पैलेट ट्राइब्यूनल। ये दोनों अपेक्स बॉडीज जैसी ऑर्गेनाइजेशंस और कंपनीज के राइट्स को प्रोटेक्ट करने का काम करती हैं जो सेबी के डिसीजन से सेटिस्फाई ना हो।

SEBI की ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्रक्चर

SEBI इंडिया एक कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर फॉलो करती है, जिसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, सीनियर मैनेजमेंट, डिपार्टमेंट हेड्स और 20 से भी ज्यादा डिपार्टमेंट्स आते हैं। इसमें पहले सेबी के मोस्ट इंपोर्टेंट डिपार्टमेंट्स को जाने तो ये हैं:

  1. द इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट।
  2. द फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स एंड कस्टोडियंस।
  3. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट।
  4. इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट।
  5. ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स।
  6. कमोडिटी एंड डेरिवेटिव मार्केट रेगुलेशन डिपार्टमेंट।
  7. और ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट।

और सेबी में नौ डेजिगनेट ऑफिसर्स होते हैं। चेयरमैन जिसे इंडियन यूनियन गवर्नमेंट नॉमिनेट करती है और एट प्रेजेंट माधवी पूरी बुज सेबी की चेयरपर्सन हैं, जो सेबी को लीड करने वाली फर्स्ट वुमन चेयरपर्सन हैं। चेयरपर्सन के अलावा सेबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में दो मेंबर्स इंडिया की यूनियन फाइनेंस मिनिस्ट्री से बिलोंग करते हैं, एक मेंबर आरबीआई से बिलोंग करता है और अन्य पांच मेंबर्स यूनियन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा नॉमिनेटेड होते हैं। यह बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स मिलकर के सिक्योरिटीज मार्केट की बिजनेस एक्टिविटीज को रेगुलेट करते हैं और उनकी प्रॉपर फंक्शनिंग और ग्रोथ को मॉनिटर करते हैं।

SEBI की हेल्पलाइन

अब आगे यह जानना भी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है कि SEBI की एक टोल फ्री हेल्पलाइन सर्विस भी है जो ऑल ओवर इंडिया में इन्वेस्टर्स की हेल्प करने के लिए अवेलेबल है। इस सर्विस के जरिए इन्वेस्टर्स की क्वेरीज को ईमेल्स और लेटर्स के जरिए आंसर किया जाता है। लेकिन SEBI किसी भी तरह की लीगल या इन्वेस्टमेंट एडवाइस ऑफर नहीं करता है, यह भी आपको पता होना चाहिए।

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Last Update: December 7, 2024