फाइनेंशियल कमोडिटी मार्केट में बहुत सारी अनसर्टेंटी के बावजूद अगर एक चीज सर्टेन है तो वो है प्राइस चेंज। इस मार्केट पर प्राइस कब ऊपर चले जाएंगे और कब नीचे गिर जाएंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन यह कहना आसान है कि यह मार्केट हमेशा प्राइस फ्लकचुएशन से जूझता रहता है। और तेज़ी से होने वाले ऐसे प्राइस चेंज का मतलब प्रॉफिट तो हो सकता है, लेकिन लॉस भी हो सकता है। और लॉस कौन चाहता है? कोई नहीं। ऐसे में जिन्हें स्टॉक मार्केट के लॉस रिस्क को कम करना होता है, उन्हें डेरिवेटिव्स बहुत ही पसंद आते हैं।

अब ये डेरिवेटिव्स क्या हैं? क्योंकि हमने तो आज तक स्टॉक्स के बारे में सुना था, जो डायरेक्टली मार्केट में ट्रेड होते हैं और मार्केट से अफेक्ट भी होते हैं, तो फिर ये डेरिवेटिव्स क्या चीज है?

डेरिवेटिव्स क्या हैं?

सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि पिछले कुछ समय से डेरिवेटिव्स की मार्केट में काफी ग्रोथ हुई है और बहुत से डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट पूरी दुनिया के एक चेंज पर लॉन्च भी हुए हैं। ऐसे में डेरिवेटिव्स के बारे में जानना आपके लिए भी फायदेमंद रहेगा। इसलिए आज इसी के बारे में थोड़ा फुर्सत से जानने की कोशिश करते हैं और आपको किसी भी तरह का कन्फ्यूजन ना हो।

फाइनेंशियल मार्केट में दो तरह के मार्केट आते हैं जिनके जरिए आप स्टॉक्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं:

  1. कैश मार्केट (या स्पॉट मार्केट), जिसे इक्विटी मार्केट भी कहते हैं।
  2. डेरिवेटिव मार्केट, जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस मार्केट।

कैश मार्केट में एक व्यक्ति शेयर्स की डिलीवरी लेने के लिए इन्वेस्ट करता है, या फिर प्राइस डिफरेंस से मिलने वाले प्रॉफिट के लिए ट्रेड को सेटल करता है। जबकि डेरिवेटिव्स मार्केट में इन्वेस्टर या ट्रेड फ्यूचर डेट में एक कंपनियों या इंडेक्स की शेयर्स खरीदने या बेचने के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट में इंटर होते हैं।

डेरिवेटिव्स के प्रकार

डेरिवेटिव्स शेयर्स और बोनस की ही तरह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं, लेकिन इनकी खुद की वैल्यू नहीं होती। इनकी वैल्यू किसी एक्जिस्टिंग इंस्ट्रूमेंट जैसे स्टॉक्स या इंडेक्स की वैल्यू के बेस पर डिसाइड होती है। इन्हें सेकेंडरी सिक्योरिटी भी कहा जा सकता है, क्योंकि इनकी वैल्यू प्राइमरी सिक्योरिटी की वैल्यू पर बेस्ड होती है। डेरिवेटिव्स एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता है जो दो या उससे ज्यादा पार्टी के बीच होता है।

इसमें डेरिवेटिव की वैल्यू अंडरलाइन सेट या एंटी की परफॉर्मेंस पर बेस्ड होती है। ये अंडरलाइन एसेट्स स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कमोडिटीज, इक्विटी या मार्केट इंडेक्स हो सकते हैं। इसके अलावा फॉरेन करेंसी, गोल्ड, वीट, और क्रिप्टोकरंसी भी अंडरलाइन एसेट हो सकते हैं।

डेरिवेटिव्स का प्रयोग

डेरिवेटिव्स का सबसे बड़ा कारण अंडरलाइन एसेट्स के प्राइस मूवमेंट से बचाव करना है। इनकी एक एक्सपायरी डेट होती है, जिस पर कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर हो जाता है। यह कॉन्ट्रैक्ट स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है और सेबी द्वारा रेगुलेटेड भी होता है। इसके जरिए आप अपने इन्वेस्टमेंट को सीकर कर सकते हैं, अगर आपको पता है कि जिनमें आपने इन्वेस्ट किया है उनकी वैल्यू गिरने लगी है।

डेरिवेटिव्स का प्रयोग करके आप फ्यूचर टाइम की किसी डेट पर अपने स्टॉक बेचकर प्रॉफिट कमा सकते हैं, और मार्केट वाले से प्रोटेक्ट रह सकते हैं, क्योंकि आप एक मार्केट से स्टॉक्स खरीद कर डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट में इंटर हो सकते हैं और उसे टाइम होने वाली गिरावट से बचाव कर सकते हैं।

डेरिवेटिव्स की रिस्क

डेरिवेटिव्स में भविष्य की प्राइस मूवमेंट को प्रेडिक्ट करना आसान नहीं होता और इसमें काफी रिस्क भी होता है। इसलिए डेरिवेटिव्स उन लोगों के लिए हैं जिन्हें प्रेडिक्ट करना आता है और जिनके पास मार्केट की अच्छी नॉलेज और एक्सपीरियंस हो। ये डेरिवेटिव्स स्पैकुलेटर, मार्जिन ट्रेडर्स और रब ट्रेडर्स के लिए बेस्ट चॉइस होते हैं।

डेरिवेटिव्स के प्रकार

  1. फॉरवर्ड
  2. फ्यूचर्स
  3. ऑप्शंस
  4. स्वैप

डेरिवेटिव ट्रेडिंग ओवर-दी-काउंटर भी हो सकती है और इसे कोई रेगुलेट नहीं करता है, जिससे काउंटर पार्टी रिस्क भी रहता है। वहीं फ्यूचर्स और ऑप्शंस ऐसे डेरिवेटिव्स होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं और रेगुलेटेड होते हैं।

फ्यूचर्स में एक व्यक्ति एक फिक्स प्राइस पर किसी डेट पर शेयर्स बाय या सेल करने का कॉन्ट्रैक्ट करता है, जबकि ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में एक व्यक्ति को यह राइट मिलता है कि वह एक फ्यूचर डेट पर शेयर्स बाय या सेल कर सके, लेकिन इसमें कोई कमिटमेंट नहीं होता।

डेरिवेटिव्स मार्केट में इंटर करने से पहले की बातें

डेरिवेटिव्स मार्केट में इंटर करने से पहले आपको कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  • आपको रिसर्च और एक्सपर्ट एडवाइस की जरूरत होगी।
  • आपको एक्सपेक्टेड मार्जिन अमाउंट के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
  • आपको एक डेरिवेटिव ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होगी।

इस अकाउंट को ओपन करने के लिए आपको अकाउंट ओपनिंग फॉर्म और केवाईसी वेरिफिकेशन की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष

डेरिवेटिव्स मार्केट में एंट्री लेने से पहले पूरी जानकारी और समझ होना जरूरी है, क्योंकि यहां रिस्क होता है। इस मार्केट में एक्सपीरियंस और रिस्क लेने के लिए तैयार इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स का बोलबाला होता है।

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Last Update: December 9, 2024