Introduction
एक टाइम ऐसा था जब स्टॉक मार्केट में एक्टिविटी ट्रेड करने वालों में केवल बड़े-बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ब्रोकरेज और ट्रेडिंग हाउसेस के नाम ही सुनाई देते द लेकिन आज जैसे-जैसे ऑनलाइन ट्रेडिंग और डिस्काउंट ब्रोकरेज की ग्रोथ हुई है वैसे-वैसे आम आदमी की स्टॉक मार्केट में एक्टिवली ट्रेड करने तक हो गई है जो वाकई में बहुत ही फायदे की बात है और अगर स्टॉक मार्केट में होने वाली इंट्राडे ट्रेडिंग की बात करें तो ये ऐसे लोगों के लिए वाकई में एक जबरदस्त कैरियर हो सकती है जिन्हें चैलेंज पे परफॉर्म करना पसंद है और जिन्हें रिस्क उठाने में भी मजा आता हो तो ऐसा क्या है इस इंट्राडे ट्रेडिंग में जिसमें रेस कोर्स चैलेंज है और सुना है की स्मार्ट इंफ्रारेड रीडर होने वाले प्रॉफिट भी काफी शानदार होते हैं तो ऐसे में यह जानना ही होगा की ये इंट्राडे ट्रेडिंग है क्या क्या इसके फायदे हैं और क्या इसके नुकसान है |चलिए अब शुरू करते हैं और जानते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में।
What is Intraday Trading?
इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब होता है से डेस्कटॉप को खरीदना और बेचना इसी दे ट्रेडिंग भी कहा जाता है और इसका पर्पस मार्केट इन डिजीज के मूवमेंट के जरिए प्रॉफिट अर्न करना होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग इन्वेस्टमेंट पर्पस से नहीं की जाती बल्कि क्विक प्रॉफिट के पर्पस से की जाती है और ये ट्रेडिंग लगभग हर तरह के स्टॉक्स में की जा सकती है। मैन लीजिए की एक स्टॉप मॉर्निंग में 500 का है और फिर एक या दो घंटे में वो 550 का हो गया। ऐसे में अगर आपने मॉर्निंग में हजार स्टॉक्स खरीदे द तो आप उन्हें से दे प्राइस इंक्रीज होने पर 550 पर सेल कर सकते हैं और ऐसा करके आपको कुछ ही घंटे पे 50 हजार का प्रॉफिट हो जाएगा। तो इसे ही इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।
Key Indicators in Intraday Trading
अब इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर के बारे में जानते हैं। सबसे पहले बात करते हैं मूविंग एवरेज मतलब यह की ज्यादातर ट्रेडर्स स्टॉक्स की डेली मूविंग एवरेज यानी डीएमए पर डिपेंडेंट रहते हैं। यह मूविंग एवरेज चार्ट्स पर एक लाइन होती है जो एक टाइम तक स्टॉक के बिहेवियर को शो करती है और यह चार्ट स्टॉक की ओपनिंग और क्लोजिंग रेट्स शो करते हैं। तो इस मिनिमम एवरेज लाइन के जरिए इंट्राडे ट्रेडर्स को किसी पार्टिकुलर स्टॉक की एवरेज क्लोजिंग रेट्स का अंदाजा हो जाता है और प्राइस में होने वाले अप डाउन का भी जिससे वो अपने स्टॉक्स के लिए लिमिटेड टाइम में सही डिसीजन ले पाते हैं।
अब जानते हैं बोलिंग और बैंड्स के बारे में। इन बैंड्स में थ्री लाइंस होती है जिम मूविंग एवरेज अपर लिमिट और लोअर लिमिट होती है। जब किसी पार्टिकुलर स्टॉप की ट्रेडिंग रेंज देखी जाती है तो इससे प्राइस वेरिएशन को लोकेट करना आसान हो जाता है और उसके अकॉर्डिंग एक्शन लिया जा सकता है। और अब आगे समझते हैं मोमेंटम ऑस्किलेटर्स को। जब इंट्राडे ट्रेड ये जानना चाहे की स्टॉक का प्राइस बढ़ेगा या घटेगा तो मोमेंटम ऑस्किलेटर उसकी मदद करेगा। ये एक से 100 की रेंज में होता है और बताता है की स्टॉक ऊपर जाएंगे या नीचे गिरेंगे। इसकी हेल्प से ट्रेड ये डिसाइड कर पता है की पार्टिकुलर स्टॉप को कब खरीदा जाए।
रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स यानी की सी एक पार्टिकुलर टाइम एक स्टॉक की ट्रेडिंग का इंडेक्स फॉर्म है। ये सी जो एक से 100 की रेंज में होता है और ग्राफिकल शो करता है की एक शेयर कब हाईएस्ट प्राइस पर खरीदा और बेचा जाएगा। तो दोस्तों ये इंडिकेटर एक इंट्राडे ट्रेडर्स के खास दोस्त कहे जा सकते हैं क्योंकि ये उसे नापा नुकसान के बारे में पल-पल की खबर जो देते रहते हैं ताकि वो नफा बन सके और नुकसान से बच सके। इसका मतलब एक सक्सेसफुल इंट्राडे ट्रेड बनने के लिए इन सारे इंडिकेटर को समझना वाकई में बहुत जरूरी है तभी तो ये दोस्त की तरह आपकी हेल्प कर पाएंगे।
Qualities and Strategies for a Successful Intraday Trader
चलिए अब इंडिकेटर के बाद ये भी जान लेते हैं की सक्सेसफुल इंट्राडे ट्रेड बनने के लिए क्या-क्या क्वालिटीज होनी जरूरी है और किन सारी स्ट्रैटेजिस की नॉलेज हमें होनी ही चाहिए। तो सबसे पहले मार्केट प्लेस की नॉलेज और एक्सपीरियंस यानी की एक दे ट्रेड के पास मार्केटप्लेस की अच्छी खासी होनी चाहिए और एक्सपीरियंस के साथ तो यह सेंस डिवेलप होता ही है क्योंकि इसी के दम पर स्टॉक मार्केट में प्रॉफिट बनाया जा सकता है। वर्ण तो बहुत सारा लॉस होने के चांसेस ज्यादा बनते हैं। इसलिए टेक्निकल एनालिसिस और चार रीडिंग स्किल्स को डिवेलप करना चाहिए और स्टार्टिंग में हाई रिस्क लेने की बजाय धीरे-धीरे मार्केट को समझते हुए ही ज्यादा मणि ट्रेडिंग पर लगानी चाहिए।
अब बात करते हैं इनफ कैपिटल की। एक दे ट्रेड के पास इतना पैसा होना चाहिए की वो केवल अपनी रिस्क कैपिटल को ही ट्रेडिंग में उसे करें और लॉस होने पर उसे भारी नुकसान ना हो क्योंकि स्टॉक मार्केट और उसमें भी दे ट्रेडिंग का मतलब हुआ की एक बार में भारी घटा तो एक ही बार में बहुत बड़ा फायदा। इसलिए नॉलेज के साथ पैसा भी सफिशिएंट होना जरूरी है और बात करें अगर डिसिप्लिन की तो डिसिप्लिन के बिना तो दे ट्रेड का दिन अच्छा नहीं बन सकता और यह भी कहा जा सकता है की अगर उसमें डिसिप्लिन नहीं है तो वो एक दिन के अंदर अपनी क्राइटेरिया को मैच नहीं कर पाए और लॉस में और हड़बड़ी वाला रोल नजर आता हो लेकिन असल में ये रोल डिसिप्लिन का है ताकि हर दिन के टारगेट को से दे पूरा किया जा सके और प्रॉफिट बनाया जा सके।
Popular Intraday Strategies
अब जान लेते हैं राइट स्ट्रैटेजिस के बारे में। डेड ट्रेडर्स की बहुत सारी स्ट्रैटेजिस होती है जिनके दम पर वो लॉस को कम कर पाते हैं और प्रॉफिट को बढ़ा पाते हैं और ऐसे ही कुछ स्ट्रैटेजिस यह है:
- स्काल्पिंग: इस स्ट्रेटजी के जरिए दे ट्रेड एक दिन में बहुत ही स्मॉल प्रॉफिट बना लेते हैं जो स्मॉल प्राइस चेंज से मिलते हैं।
- रेंज ट्रेडिंग: यह कैसी स्ट्रेटजी है जिसका उसे करके डेट रीडर शॉर्ट पीरियड में स्टॉक्स बाय और सेल करने की एक रेंज को आईडेंटिफाई करते हैं।
- फाइनेंशियल ट्रेडिंग: एक टाइप है जो बहुत ही कम टाइम में यानी सेकंड्स के भी एक हिस्से में बहुत ज्यादा संख्या में ऑर्डर्स को ट्रांजैक्ट करने में उसे।
- न्यूज़ बेस्ड ट्रेडिंग: इस ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में ट्रेडर्स बहुत से न्यूज़ सोर्सेस के जरिए ऐसी इवेंट्स का पता लगाते हैं जो स्टॉक प्राइस मूवमेंट को इफेक्ट कर सकते हैं और उसका प्रॉफिट उठाते हैं। जैसे बहुत से रिलायबल न्यूज़ सोर्सेस के अकॉर्डिंग कंपनी एक कंपनी बी को एक्वायर करने का इंटेंशन अनाउंस करने वाली है, ऐसी न्यूज़ स्टॉक मार्केट में वोलैटिलिटी इंक्रीज करती है जिसका फायदा डेड ट्रेड को होता है सही टाइम पर सही स्टॉक को बाय और सेल करके।
इन स्ट्रैटेजिस और क्वालिटीज के दम पर आप भी डेट लेटर बन सकते हैं और क्योंकि आपका इंटरेस्ट डेट ट्रेडिंग में है इसलिए आप जानना चाहते होंगे की इंफ्रारेड ट्रेडिंग में स्टॉक्स को कैसे उसे करें। तो देखिए इंट्राडे ट्रेडिंग में सबसे इंपॉर्टेंट और सबसे पहला स्टेप स्टॉक्स को चूज करना ही होता है।
How to Choose Stocks for Intraday Trading
तो आपको अच्छा रिटर्न मिलेगा और अगर गलत स्टॉक्स चूस कर लिए तो घटा होना तय है। तो आपको घटा ना हो बल्कि मुनाफा हो ज्यादा से ज्यादा मिले इसके लिए कुछ स्टॉक्स चूस करते समय इन सारी बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे की हाई वॉल्यूम फ्रेड सिलेक्ट करने चाहिए यानी जो हाईली लिक्विड हो जैसे पेनिस स्टॉक्स जो स्मॉल स्केल कंपनी की शेयर होते हैं जिनका प्राइस ₹20 पर शेयर जितना लो होता है। एक टाइम में मैक्सिमम दो या तीन स्टॉक सिलेक्ट करने चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा शेयर्स को एक साथ मॉनिटर करना मुश्किल हो जाता है। वो प्राइस डिसाइड कर लेना चाहिए जिस पर आप एक दे ट्रेड के तौर पर स्टॉक्स को खरीदना या बेचना चाहते हैं जिसमें आपकी एंट्री और टारगेट प्राइस क्लियर हो।
आपको एक स्टॉप लॉस ऑर्डर भी डिसाइड करना चाहिए ताकि आपका रिस्क रिड्यूस हो सके। यह शेयर्स को सेल करने का एक एडवांस ऑर्डर होता है जिसमें शेयर प्राइस पार्टिकुलर प्राइस पॉइंट पर पहुंचने ही उसे सेल कर दिया जाता है। ऑर्डर प्लेस करने के बाद मॉनिटर करना चाहिए और जैसे ही प्राइस आपके टारगेट या स्टॉप लॉस लेवल्स को हिट करें तब एग्जिट कर लेना चाहिए। आपको बता देते हैं की एंट्री लेवल परचेज प्राइस से रिलेटेड होता है, तो एग्जिट पॉइंट टेलिंग प्राइस से टारगेट प्राइस एक स्टॉक के फ्यूचर प्राइस का एस्टीमेट होता है।
Advantages and Disadvantages of Intraday Trading
अब अगर इंट्राडे ट्रेडिंग के एडवांटेजेस देखे तो इन्वेस्टमेंट के कंपैरिजन में आपको काफी कंप्रेसिबल अमाउंट की जरूरत होती है यानी इंडियन स्टॉक मार्केट में आप 5000 जितने स्मॉल अमाउंट से भी शुरू कर सकते हैं। तो 2 लाख जैसे बड़े अमाउंट के साथ भी आपको प्रॉफिट के लिए ज्यादा लंबा इंतजार करने की जरूरत नहीं होती है और एक दिन में आसानी से थोड़ा-थोड़ा प्रॉफिट बनाया जा सकता है। जब स्टॉक मार्केट ज्यादा वोलेटाइल हो तब नॉलेज के दम पर ज्यादा प्रॉफिट बनाना आसान हो जाता। लॉन्ग टाइम के लिए अपने पैसे को इंगेज करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
लेकिन अगर इसकी डिसएडवांटेजेस के बारे में जाने तो तो बात ऐसी है की मणि फास्ट ऑन करने का ऑप्शन तो इसमें आपको मिलता ही है लेकिन मणि फास्ट लॉस करने के चांसेस भी काफी हाई रहते हैं। थोड़ा प्रॉफिट मिलने से आप ओवर कॉन्फिडेंट हो सकते हैं और उसके बाद जब लॉस होने लगे तो साइकोलॉजिकल अफेक्टेड होने का रिस्क रहता है जिससे हेल्थ पर नेगेटिव इंपैक्ट पद सकता है। थोड़ा टाइम इंट्राडे ट्रेड के तौर पर सक्सेसफुल रहने के बाद अगर आप ट्रेडिंग डायरी और ट्रेडिंग प्लान को इग्नोर करने लगेंगे तो सक्सेसफुल होना काफी डिफिकल्ट हो जाएगा। वैसे शॉर्टकट से कम नहीं चलेगा तो आपको स्ट्रक्चर्स और चार्ट्स को समझना भी होगा और लर्न करते हुए ट्रेड करना होगा।
Conclusion
ये पार्ट टाइम जॉब नहीं है क्योंकि इस कम में आपको स्टॉक मार्केट की एक पूरे दिन की टाइमिंग सुबह 9:00 से दोपहर 3:00 बजे तक अपनी डेस्क पर ही बैठे रहना होगा। इसमें फुल टाइम कमिटमेंट और डिसिप्लिन दोनों चाहिए। तो कहने का मतलब है की दे ट्रेडिंग में एंट्री लेनी होगी आपको वो भी पुरी तैयारी के साथ। तो चलिए अब ये भी जान लेते हैं की दे ट्रेडिंग शुरू करने के लिए क्या-क्या जरूरी है। इसके लिए आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होगी और उसमें आपको एक सफिशिएंट मार्चिंग बैलेंस भी मेंटेन रखना होगा। उसके बाद आप डेट रीडिंग शुरू कर सकते हैं।